Rajasthan : झालावाड़ के बाद अब इस स्कूल में हादसा होना तय! तस्वीरें रोंगटे खड़े कर देगी आपके, जहां स्कूल बनी हुई है ‘मौत का स्कूल’

मनीष बागड़ी/दिलीप सेन
जयपुर/प्रतापगढ़: राजस्थान के झालावाड़ में हुए स्कूली बच्चों के साथ दर्दनाक हादसे ने प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश को भी झकझोर दिया। स्कूल की छत गिरने से 7 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। सिस्टम की यह लापरवाही अब भी सिमित नहीं है, अभी तो प्रदेश में ऐसे दर्जनों हादसें इंतजार में है। कुछ ऐसा ही हालत प्रतापगढ़ में भी है, जहां स्कूल बच्चों की ‘मौत का स्कूल‘ बनी हुई है। यहां की हैरान भरी तस्वीरों को देखकर एक बार तो आप भी यह उठेंगे कि यहां झालावाड़ के बाद अब हादसा होना तय है। रोंगटे खड़े कर देने वाली इन तस्वीरों के बावजूद भी कभी भी सिस्टम का दिल नहीं पसीजता है। प्रतापगढ़ के इस सरकारी स्कूल में हर दिन करीब 100 बच्चे अपनी जान हथेली पर रखकर पढ़ाई करने पहुंचते हैं, ऐसे में परिजनों को चिंता सताती है कि स्कूल के बाद उनके जिगर के टुकड़े घर लौट पाएंगे या नहीं?
स्कूल के बरामदे की छत पहले ही ढह चुकी
यह हैरान भरी तस्वीरे हैं, प्रतापगढ़ के सुहागपुरा ब्लाॅक के बोरखेड़ा गांव की, जहां की तस्वीरे आपके रोंगेट खडे़ कर देगी। इस सरकारी विद्यालय भवन की छतें और दीवारें दरक चुकी हैं। बरामदे की छत पहले ही ढह चुकी है, और बाकी कमरों की दीवारें भी मलबे में तब्दील हो चुकी हैं। दो कमरे जैसे-तैसे खड़े हैं, लेकिन उनमें भी बारिश में छत से पानी टपकता है। बच्चे खुले बरामदे में बैठने पर मजबूर हैं, जहां भी सिर के ऊपर हर वक्त मौत मंडरा रही है। इसको लेकर ग्र्रामीणा कहते हैं कि ऐसी स्कूल में बच्चों को पढ़ने भेजें या मरने? उनका कहना है कि पांच साल से हालात ऐसे ही बने हुए हैं, लेकिन विभागीय अफसरों ने सिर्फ निरीक्षण किए, कोई कार्रवाई नहीं।
पहाड़ी से पत्थर लुढ़ककर गिरते हैं स्कूल भवन पर
स्कूल में बुनियादी सुविधाएं तक नदारद हैं। पीने के लिए हैंडपंप महीनों से खराब पड़ा है। बच्चों के लिए शौचालय तक नहीं है। रसोई की छत भी टपकती है। बरसात में पहाड़ी से पत्थर लुढ़ककर स्कूल परिसर में आ गिरते हैं, जिससे हादसे का खतरा और बढ़ जाता है। चार दीवारी और खेल मैदान की बात तो दूर की है। कक्षा 5 का छात्र रविन्द्र कहता है, “हम रोज डरते हैं कि कहीं स्कूल की छत हमारे ऊपर न गिर जाए।” प्रधानाध्यापक लक्ष्मीलाल डोडियार बताया कि उन्होंने बीते पांच वर्षों में सैकड़ों बार लिखित और मौखिक शिकायतें भेजीं। एईएन, जेईएन से लेकर एडीपीसी तक स्कूल का निरीक्षण कर चुके हैं, लेकिन आज तक एक ईंट तक नहीं लगाई गई।
ग्रामीण ने जिला कलेक्टर कार्यालय पर धरना देने की चेतावनी दी
कभी इस स्कूल में 100 से ज्यादा बच्चे पढ़ते थे। अब दर्जनों परिवार डर के कारण बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। गांव के लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ, तो स्कूल में ताला लगाकर जिला कलेक्टर कार्यालय पर धरना देंगे। अब सवाल उठता है कि जब अफसर खुद हालात देख चुके हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या विभाग झालावाड़ दुखान्तिका के बाद यहां हादसा होने का इंतजार कर रहा है।
“विद्यालय की स्थिति काफी दयनीय है इसके बारे में कई बार उच्च अधिकारी को अवगत करा दिया गया है। साथ ही पत्राचार भी किए गए, जैसे ही विद्यालय का बजट आता है तो निर्माण कार्य करवाया जाएगा। फिलहाल बच्चों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।”
विक्रम कोठारी, सीबीईओ सुहागपुरा।