जैसलमेर में जिलाध्यक्ष को लेकर क्यों मची है खींचतान ? दो गुटों में फंस गई कांग्रेस

जैसलमेर में जिलाध्यक्ष को लेकर क्यों मची है खींचतान ? दो गुटों में फंस गई कांग्रेस
Spread the love

जैसलमेर (जगदीश गोस्वामी) : जैसलमेर में जिलाध्यक्ष चुनाव को लेकर सियासी पारा उबाल पर है। नगर परिषद चुनाव 2019 में जैसलमेर कांग्रेस में हुए दो फाड़ अभी भी जुड़ने के मुंड में नही है। जैसलमेर कांग्रेस में धनदेव व फकीर गुट की दूरियां दिनोदिन बढ़ती जा रही है। जिसका खामियाजा कांग्रेस लगातार भुगतती जा रही है। नगर परिषद चुनाव-2019 में दोनों गुटों के बीच तैयार हुई खाई लगातार बढ़ती जा रही है। जिसकी शुरुआत निर्दलीय उम्मीदवार को जैसलमेर नगर परिषद का सभापति फकीर गुट द्वारा बनाने से हुई और उसके बाद कांग्रेस के यह दो मजबूत स्तम्भ पंचायती राज चुनाव में बहुमत के बावजूद जिला परिषद में अपना जिला प्रमुख नहीं बना पाए थे।

यह भी पढ़ें : सचिन पायलट के खास सांसद ने गहलोत के सामने किया तंज, गहलोत भी हो गए पानी-पानी

जिलाध्यक्ष

विधानसभा चुनाव-2023 में भी आपसी टकराव के कारण ही जैसलमेर और पोकरण दोनों ही सीटे कांग्रेस के हाथों से निकल गई और रूपाराम धनदेव व शाले मोहम्मद चुनाव हार गए। जिसके बाद लोकसभा चुनाव-2024 में पूर्व CM अशोक गहलोत की मध्यस्थता में ये दोनों गुट एक दिखे और उम्मेदाराम बेनीवाल जैसलमेर में आगे रहे और सांसद चुनाव भी जीते। वही एक बार फिर इन दोनों गुटों के बीच की दूरियां नजर आ रही है। फकीर गुट जहाँ अमरद्दीन फकीर को जिलाध्यक्ष बनाने की कवायद कर रहा है वही धनदेव गुट उम्मेदसिंह तंवर पर ही दुबारा दाव खेलना चाहता है।

यह भी पढ़ें : चाची को अकेली देखकर भतीजे की बिगड़ी नीयत, बात बिगड़ी तो कर दी खौफनाक वारदात

कांग्रेस की अंदरूनी कलह खुलकर दिखी

जैसलमेर में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) और राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) के सदस्य पहुँचे। जिनके सामने कांग्रेस की अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई। संगठन सृजन कार्यक्रम के तहत आयोजित बैठक में कांग्रेस के 2 गुट फकीर और धणदे ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया और जिलाध्यक्ष पद को लेकर मतभेद स्पष्ट कर दिए।

भीषण आग में लाखों रुपए की मशीनें जलकर खाक, जानिए कैसे हुआ हादसा

एक नाम पर सहमति बनना मुश्किल

इस बैठक में AICC के संयुक्त सचिव सुशांत मिश्रा और महिला कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सारिका सिंह मौजूद थे। दोनों गुटों के कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने नेताओं के पक्ष में नारेबाजी करते हुए शक्ति प्रदर्शन किया। दोनों ही पक्ष अपने-अपने गुट से जिलाध्यक्ष बनाने में लगे हैं। ऐसे में यदि जिलाध्यक्ष को लेकर एक नाम पर सहमति नही बनती है और ये दोनों गुट एक नही होते है तो पंचायती राज में एक बार फिर कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। संगठन सृजन कार्यक्रम के तहत जिलाध्यक्षों का चुनाव होना है। इसके लिए पार्टी ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। पर्यवेक्षक 3 दिन तक जिले में रहकर कार्यकर्ताओं से वन-टू-वन बातचीत करेंगे। सभी रायों को संकलित कर प्रदेश नेतृत्व को रिपोर्ट सौंपेंगे, जिसके आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

यह भी पढ़ें : ज्ञानदेव आहूजा ने सीएम और बीजेपी चीफ को दी चुनौती! नौसिखिया मुझे नहीं निकाल सकते

बैठक में पूर्व प्रधान अमरदीन फकीर ने जिले से केवल एक नाम भेजने की बात कही, जबकि पूर्व विधायक रूपाराम धणदे ने यह मांग रखी कि मुस्लिम और मेघवाल वर्ग को छोड़कर “मूल ओबीसी” समाज से जिलाध्यक्ष चुना जाए। इस पर पूर्व जिला प्रमुख अब्दुला फकीर ने कहा कि कांग्रेस की परंपरागत वोट बैंक रहे अल्पसंख्यक समुदाय से ही जिलाध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। अब आने वाला वक्त ही बताएगा कि इन दोनों गुटों को एक करने के लिए आखिर कौन देवदूत बनकर आएगा या ये दोनों गुट एक बार फिर एक-दूसरे को हराने में सफल होंगे।

यह भी पढ़ें : ज्ञानदेव आहूजा ने सीएम और बीजेपी चीफ को दी चुनौती! नौसिखिया मुझे नहीं निकाल सकते

अंतर्विरोध से जूझ रही पार्टी

जिलाध्यक्ष पद के चयन को लेकर जैसलमेर कांग्रेस में मचे घमासान ने यह साफ कर दिया है कि पार्टी स्थानीय स्तर पर गंभीर अंतर्विरोधों से जूझ रही है। अब सारी निगाहें पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट और प्रदेश नेतृत्व के फैसले पर टिकी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस आलाकमान जातीय संतुलन और गुटीय राजनीति के बीच किसके पक्ष में फैसला सुनाता है। इस सम्बन्ध में राजस्थान महिला कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष सारिका सिंह ने इस बात को स्वीकार किया है कि 2 गुट की राजनीति हो रही है और उन्होंने बताया कि वे इसे एक करने की पूरी कोशिश करेंगी।

हीरालाल नागर को आया ऐसा गुस्सा! सीसी रोड़ को ही उखड़वा दिया जेसीबी से, जानिए क्यों?

फकीर- धनदेव गुट की यू बढ़ी दूरियां

आपको बता दे कि 2013 के विधानसभा चुनाव में फकीर गुट ही रुपाराम धनदेव को कांग्रेस में लाया था और 2013 में कांग्रेस से टिकट दिलाई थी। इस चुनाव में रुपाराम धनदेव की हार हुई। वहीं 2015 में जिला परिषद से रुपाराम धनदेव की बेटी अंजना मेघवाल को जिला प्रमुख बनाया गया। जिसमे फकीर परिवार का महत्वपूर्ण योगदान रहा। वही 2018 में रुपाराम धनदेव कांग्रेस से जैसलमेर के विधायक बने। वही पोकरण से विधायक शाले मोहम्मद गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।

महिलाओं ने कलेक्ट्रेट में ही लगा दी सब्जी मंडी! कलक्टर मेडम भी हुई हैरान

धीरे-धीरे दोनों गुटों के बीच दूरियां बढ़ी। और नगर परिषद, जिला परिषद के साथ ही 2023 के विधानसभा चुनाव में भी जैसलमेर और पोकरण से कांग्रेस के दोनों विधायक उम्मीदवार चुनाव हार गए। राजनीतिक कैरियर की बात की जाए तो रुपाराम धनदेव जहां मेघवाल समाज में अपनी गहरी पेठ रखते हैं और अनुसूचित जाति के राष्ट्रीय अध्यक्ष है। वही पूर्व कैबिनेट मंत्री शाले मोहम्मद सिंधी मुस्लिम समुदाय के धर्मगुरु है। ऐसे में दोनों ही जातियों के वोट कांग्रेस के कोर वोट है लेकिन दो धड़ो में डिवाइड होने से कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

चाची को अकेली देखकर भतीजे की बिगड़ी नीयत, बात बिगड़ी तो कर दी खौफनाक वारदात

 

मनीष बागड़ी, Chief Editor

पॉलिटिकल आर्टिकल्स लिखना पसंद है, पत्रकारिता में 20 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वर्तमान में नवभारत टाइम्स (NBT) में 'स्टेट पॉलिटिकल आर्टिकल्स' लिखता हूं, पत्रकारिता के इस सफर में राजस्थान पत्रिका, A1टीवी, न्यूज़ इंडिया, Network 10, हर खबर न्यूज़ चैनल, दैनिक रिपोर्टर्स.com जैसे न्यूज़ प्लेटफार्म पर भी कार्य किया है। Follow us - www.thepoliticaltimes.live
error: Content is protected !!