Rajasthan : मासूम बच्चों के सिर पर कब टूट पड़े मौत? मौत के इस स्कूल का नजारा देखकर कांप जाएगा दिल

Rajasthan : मासूम बच्चों के सिर पर कब टूट पड़े मौत? मौत के इस स्कूल का नजारा देखकर कांप जाएगा दिल
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दिलीप सेन, प्रतापगढ़ : प्रदेश में शिक्षा के नाम पर करोड़ों का बजट खर्च करने के दावे ज़मीन पर कितने खोखले हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण है, सुहागपुरा ब्लॉक का बोरखेड़ा गांव। यहां मासूम बच्चे ‘मौत के स्कूल’ में पढ़ रहे हैं। राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की हालत इतनी खस्ताहाल है कि हर दिन करीब 100 बच्चे जान हथेली पर लेकर पढ़ाई करने पहुंचते हैं। पता नहीं कब पहाड़ी के रास्ते से मौत मासूम बच्चों के सर पर टूट पड़े। इस भवन का नजारा एक बार आप भी देखेंगे, तो आपका दिल कांप पर जाएगा, लेकिन अफसोस इस स्कूल के जर्जर भवन की इस हालत को देखकर सिस्टम को भी दया नहीं आ रही है।

स्कूल के बरामदे की छत पहले ही ढह चुकी है

पूरे विद्यालय भवन की छतें और दीवारें दरक चुकी हैं। बरामदे की छत पहले ही ढह चुकी है, और बाकी कमरों की दीवारें भी मलबे में तब्दील हो चुकी हैं। दो कमरे जैसे-तैसे खड़े हैं, लेकिन उनमें भी बारिश में छत से पानी टपकता है। बाकी बच्चे खुले बरामदे में बैठते हैं, जहां सिर के ऊपर हर वक्त मौत मंडरा रही है। ग्रामीण दरिया बाई और बालूराम निनामा सवाल उठाते हैं — “हम बच्चों को पढ़ने भेजें या मरने?” उनका कहना है कि पांच साल से हालात ऐसे ही बने हुए हैं, लेकिन विभागीय अफसरों ने सिर्फ निरीक्षण किए, कोई कार्यवाही नहीं।

पहाड़ी से पत्थर लुढ़ककर गिरते हैं स्कूल भवन पर

स्कूल में बुनियादी सुविधाएं तक नदारद हैं। पीने के लिए हैंडपंप महीनों से खराब पड़ा है। शौचालय तक नहीं है। रसोई की छत भी टपकती है। बरसात में पहाड़ी से पत्थर लुढ़ककर स्कूल परिसर में आ गिरते हैं, जिससे हादसे का खतरा और बढ़ जाता है। चारदीवारी और खेल मैदान की बात तो दूर की है। कक्षा 5 का छात्र रविन्द्र कहता है, “हम रोज डरते हैं कि कहीं स्कूल की छत हमारे ऊपर न गिर जाए।” प्रधानाध्यापक लक्ष्मीलाल डोडियार बताते हैं कि उन्होंने बीते पांच वर्षों में सैकड़ों बार लिखित और मौखिक शिकायतें भेजीं। एईएन, जेईएन से लेकर एडीपीसी तक स्कूल का निरीक्षण कर चुके हैं, लेकिन आज तक एक ईंट तक नहीं जुड़ी।

ग्रामीण ने जिला कलेक्टर कार्यालय पर धरना देने की चेतावनी दी

कभी इस स्कूल में 100 से ज्यादा बच्चे पढ़ते थे। अब दर्जनों परिवार डर के कारण बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। गांव के लोगों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ, तो स्कूल में ताला लगाकर जिला कलेक्टर कार्यालय पर धरना देंगे। अब सवाल ये है कि जब अफसर खुद हालात देख चुके हैं, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही? क्या विभाग किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहा है?

‘विद्यालय की स्थिति काफी दयनीय है इसके बारे में कई बार उच्च अधिकारी को अवगत करा दिया गया है साथ ही पत्राचार भी किए गए जैसे ही विद्यालय का बजट आता है तो निर्माण कार्य करवाया जाएगा हाल फिलहाल बच्चों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।”

विक्रम कोठारी, CBEO सुहागपुरा

मनीष बागड़ी, Chief Editor

पॉलिटिकल आर्टिकल्स लिखना पसंद है, पत्रकारिता में 20 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वर्तमान में नवभारत टाइम्स (NBT) में 'स्टेट पॉलिटिकल आर्टिकल्स' लिखता हूं, पत्रकारिता के इस सफर में राजस्थान पत्रिका, A1टीवी, न्यूज़ इंडिया, Network 10, हर खबर न्यूज़ चैनल जैसी न्यूज़ प्लेटफार्म पर भी कार्य किया है। Follow us - www.thepoliticaltimes.live
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