गणेश चतुर्थी : 1 साल में ही घर दे देते हैं चुंधि गणेश जी, जानिए अद्भुत स्थान

गणेश चतुर्थी : 1 साल में ही घर दे देते हैं चुंधि गणेश जी, जानिए अद्भुत स्थान
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जैसलमेर (जगदीश गोस्वामी) : राजस्थान के जैसलमेर में एक ऐसे भगवान गणेश जी का स्थान है, जो श्रद्धालुओं में अपनी अनोखी पहचान बनाए हुए हैं। जैसलमेर के चुंधि गणेश जी, जिन्हें घर वाले गणेश जी भी कहा जाता हैं। इस स्थान को ऋषि चवन्द के तपस्या स्थली के रूप में भी जाना जाता है। यह ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां मानव निर्मित प्रतिमा की जगह प्रकृति की निर्मित अनूठी प्रतिमा है, जो श्रद्धालुओं का आकर्षण का केंद्र है। गणेश चतुर्थी के मौके पर इस रिपोर्ट में जानिए जैसलमेर के इस पावन सिंधी गणेश मंदिर के बारे में…..

गणेश चतुर्थी

प्रकृति ने ही बना दी गणेश जी की अद्भुत मूर्ति

गणेश चतुर्थी के मौके पर स्वर्णनगरी जैसलमेर भी भक्तिमय नजर आ रही है। जैसलमेर के गणेश मंदिरों में भक्तों का तांता लग रहा है। ऐसे में जैसलमेर शहर से 12 किमी दूर चूंधी गांव में भगवान गणेश का मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि यहां हर मन्नत पूरी होती है। बताया जाता है कि ये मंदिर 1400 साल पुराना है। ऐसी मान्यता है कि इस मूर्ति को किसी व्यक्ति द्वारा तैयार नहीं किया गया, बल्कि काक नदी के बरसाती पानी मे से ये मूर्ति प्रकट हुई थी। जिसकी सदियों से यहां पूजा अर्चना की जा रही है। जैसलमेर की काक नदी के बहाव क्षेत्र के बीच स्थित इस चुँधि गणेश मूर्ति का बरसाती पानी से जलाभिषेक होता है।

गणेश चतुर्थी

गुजरात और महाराष्ट्र से भी पहुंचते हैं श्रद्धालु

इसके बाद भी प्रतिमा का स्वरूप नहीं बदला है। ये मंदिर बहुत प्रसिद्ध है और हर बुधवार को यहां भक्तों की भीड़ लगती है। गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहां के मंदिर को विशेष डेकोरेशन व लाइटिंग के साथ सजाया जाता है। इसके साथ ही यहां गणेश चतुर्थी के दिन भंडारे का भी आयोजन होता है जिसमें भक्तजन पहुंचकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी के दिन 50 हजार के करीब भक्त इस मंदिर में पहुंचते हैं। जिसमें जैसलमेर के साथ ही राजस्थान के विभिन्न इलाकों व गुजरात व महाराष्ट्र से भी भक्तजन इस मंदिर में पहुंचते हैं।

गणेश चतुर्थी

1 साल में ही घर दे देते हैं गणेश जी

इस मंदिर को मकान देने की मनोकामना पूर्ण करने वाले गणेश मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस कारण इस मंदिर में मकान की मनोकामना लिए भक्त नदी के बहाव क्षेत्र में पड़े पत्थरो के टुकड़ों से घरोंदे बना अपने मकान की कामना करते है और लोगो का मानना है कि एक साल में ही गणेशजी के आशीर्वाद से मकान बन जाता है। चून्धी गणेश मंदिर का मुख्य द्वार विशाल पीले पत्थरो का बना हुआ है। इसके द्वार के दोनों और सफेद संगमरमर की हाथी की मूर्तियां लगी हुई हैं। द्वार में प्रवेश कर आगे गुजरते हुए एक रास्ता सीढ़ियों से नीचे की तरफ नदी की ओर जाता है। इसी नदी में सुप्रसिद्धि चूंधी गणेश का मंदिर स्थित है।

जानिए मंदिर का अद्भुत इतिहास

मंदिर की मूर्ति से जुड़ी कथा को बताते हुए चुंधि गणेश मंदिर ट्रस्ट के सचिव आशाराम मूलचंदानी बताते है कि यह मंदिर 1400 साल के करीब पुराना है। काकनेय नदी के प्रवाह क्षेत्र के बीच स्थित इस मूर्ति का निर्माण किसी इंसान ने नहीं किया है। ये मूर्ति खुद ही जमीन से प्रकट हुई थी। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान इन्द्र खुद इस चुंधि गणेश मूर्ति का जलाभिषेक करते हैं। यहां नदी बहती है और मूर्ति पानी में डूब जाती है। मगर आज तक कभी भी इसका आकार, रूप न तो बदला न ही प्रतिमा घिसी है। चूंधी गणेश मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां चंवद नामक सिद्ध महात्मा ने कई सालों तक तपस्या की थी। ये स्थान उन्हीं के नाम से चूंधी के नाम से जाना जाता है।

यहां अन्य ऋषियों ने भी तपस्या की थी, इसलिए इस स्थान को विशेष पवित्र माना गया है। चुंधि गणेश मंदिर के दर्शन कर जो भी यहां पत्थरों का घरौंदा बनाता है भगवान गणेश उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं और उसका मकान बन जाता है। इस कारण इस मंदिर को घर देने वाला गणेश मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहां भंडारे का भी आयोजन होता है। एक दिन के इस गणेश चतुर्थी मेले में 50 हजार के करीब श्रद्धालु पहुंचते हैं। जिसमें राजस्थान, गुजरात व महाराष्ट्र के भी भक्त शामिल है। जयपुर में मोती डूंगरी गणेश मंदिर का जो महत्व है। महाराष्ट्र में सिद्धिविनायक गणेश मंदिर का जो महत्व है, जैसलमेर में वही महत्व चुंधि गणेश मंदिर का है।

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मनीष बागड़ी, Chief Editor

पॉलिटिकल आर्टिकल्स लिखना पसंद है, पत्रकारिता में 20 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वर्तमान में नवभारत टाइम्स (NBT) में 'स्टेट पॉलिटिकल आर्टिकल्स' लिखता हूं, पत्रकारिता के इस सफर में राजस्थान पत्रिका, A1टीवी, न्यूज़ इंडिया, Network 10, हर खबर न्यूज़ चैनल, दैनिक रिपोर्टर्स.com जैसे न्यूज़ प्लेटफार्म पर भी कार्य किया है। Follow us - www.thepoliticaltimes.live
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